मै एक किन्तु संकल्प किया, तो एकोSह्म बहुश्याम हुआ,
मैने विस्तार किया-अपना, ब्रह्माण्ड उसी का नाम हुआ,
ये चाँद और सुरज मेरी आँखों मे उगने वाले हैँ
है एक आँख मे स्नेह और दूजी मे प्रखर उजाले हैँ
मनचाही सृष्टी रचाने की क्षमता वाला, मै कौषिक हुँ
मेरा परिचय क्या पूछ रहे, रचयीता, रक्षक, पोषक हुँ